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केके गुप्ता को लोक अदालत ने बनाया न्याय मित्र
झुंझुनूं शहर समेत नवलगढ़ व मंडावा के हालातों को सुधारेंगे
18 महीने का कार्यकाल होगा गुप्ता का
आदेशों में लोक अदालत ने केके गुप्ता का कार्यकाल 18 महीने का तय किया है। जो प्रत्येक तीन महीने से लोक अदालत झुंझुनूं में अपनी कार्ययोजना और उसके क्रियान्वयन की रिपोर्ट एवं जिला प्रशासन द्वारा प्रदान किए जा रहे सहयोग की रिपोर्ट करेंगे।
पांच परिवादों में ये शिकायतें थी शामिल
लोक अदालत ने जिन पांच परिवादों में ये फैसला दिया है। उनमें से दो परिवार 2019 के है। 2019 में मोहम्मद कुर्बान बनाम राजस्थान सरकार व अन्य तथा विजयपाल बनाम राजस्थान सरकार व अन्य है। इसके अलावा 2021 का पवन सैनी बनाम आयुक्त व अन्य तथा 2022 का अंशुमान सिंह बनाम अधीक्षण अभियंता व अन्य तथा पिंकी शर्मा बनाम प्रबंधक होटल व अन्य शामिल है। इन परिवादों में झुंझुनूं शहर, नवलगढ़ और मुकुंदगढ़ में गदंगी की समस्या, गंदे पानी की समस्या, ट्रेफिक जाम की समस्या, आवारा पशुओं के उत्पात के कारण पर्यटन उद्योग पर विपरित प्रभाव की समस्या, कचरे के नियमित और समुचित संग्रहण की समस्या, कचरे के नियमित और समुचित संग्रहण के पश्चात उचित रूप से उनके कचरा प्रबंधन एवं निस्तारण की समस्या, वर्षा के जल के संरक्षण की समस्या, पुरातत्व महत्व की इमारतों के संरक्षण की समस्या तथा स्वच्छता से जुड़े हुए पर्यटन के विकास की समस्या शामिल है।
पुरानी धरोहरों के खत्म होने पर हुई चिंता
लोक अदालत के इन प्रकरणों के द्वारा संज्ञान में लाया गया कि झुंझुनूं जिले की विरासत सांस्कृतिक धरोहर 500 वर्ष से भी ज्यादा पुरानी है। झुंझुनूं जिले में झुंझुनूं शहर के अलावा नवलगढ़, मंडावा, डूंडलोद, मलसीसर, बिसाऊ, बगड़ आदि थ्सानों पर 200—300 साल पुरानी हवेलियां है। 100 साल से लेकर 300 साल तक पुरानी फ्रेस्को पेंटिंग है। जिनको देखने के लिए देश—विदेश से वर्ष पर्यंत लाखों पर्यटक आते है। यदि मूलत: झुंझुनूं शहर, नवलगढ़ और मंडावा इन तीनों स्थानों पर कचरा संग्रहण, कचरा प्रबंधन, वर्षा जल निकासी, आवारा पशुओं का प्रबंधन ठीक ढंग से नहीं किया गया तो इन तीन स्थानों की प्राचीन विरासत और सांस्कृतिक धरोहर खतरे में पड़ जाएगी। इन से जुड़ा हुआ पर्यटन उद्योग खतरे में पड़ जाएगा। आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी गंदगी के कारण से बुरा प्रभाव पड़ेगा।
तीन शहरों को स्वच्छ, सुंदर व हरा—भरा करेंगे
इस फैसले के बाद जब हमने केके गुप्ता से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मुझे खुशी है कि मुझे अपने जन्म क्षेत्र में काम करने का मौका दिया जा रहा है। हालांकि अभी तक अधिकारिक तौर पर मेरे पास कोई आदेश या फिर निर्देश नहीं आए है। लेकिन जिस तरह का फैसला लोक अदालत ने लिया है। मैं उसके लिए आभार जताता हूं। जब भी मुझे डीएलबी की ओर से अधिकारिक आदेश मिलेंगे। मैं पूरी तन्मयता साथ तीनों शहरों के लिए काम करूंगा और उन्हें स्वच्छ, सुंदर और हरा भरा बनाने के साथ—साथ पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए जी जान लगा दूंगा। आपको बता दें कि केके गुप्ता मूल रूप से झुंझुनूं जिले के सीथल गांव के रहने वाले है। उनका जन्म भी सीथल गांव में ही हुआ था। उनके पिता मातादीन गुप्ता न्यायिक सेवाओं में थे। इसलिए वे जब पांच—छह साल के थे। तभी उन्होंने गांव छोड़ दिया था।